भीलवाड़ा का दाउदी बोहरा समाज


भीलवाड़ा | टैक्सटाइल सिटी भीलवाड़ा में दाउदी बोहरा समाज समता व एकजुटता की मिसाल है। यह समाज अपने धर्मगुरु की सीख की बीते 12 साल से नियमित पालना कर रहा है। समाज में सामान्य हैसियत रखने वाला परिवार हो या अरबपति, एक वक्त का भोजन एक रसोई में बना ही करते हैं। समाज की अपनी रसोई है, जिसमें शाम का भोजन एक साथ बनता है। रसोई से तैयार टिफिन समाजजनों के घरों तक पहुंचाए जाते हैं। इस राशन-पानी का इंतजाम समाज अपने स्तर पर करता है। दाउदी बोहरा समाज की यह व्यवस्था भीलवाड़ा ही नहीं बल्कि देश-विदेश तक में है। भीलवाड़ा में दाउदी बोहरा समाज के 150 परिवार हैं, जिनमें करीब 550 सदस्य हैं। इन सबका भोजन बोहरा मस्जिद के पीछे स्थित रसोई में बनता है। इसे टिफिन से घरों तक भेजा जाता है। धर्मगुरु सैयदना साहब के आह्वान पर 12 साल पहले यह व्यवस्था शुरू की गई थी, तब से नियमित है। सामुदायिक रसोई सप्ताह में छह दिन चलती है। रविवार को रसोई बंद रखी जाती है।
समाज के वरिष्ठ सदस्य शाबिर हुसैन बोहरा ने बताया कि हर दिन का मेन्यू तय है। सप्ताह में एक-दो दिन तथा पर्व-त्योहार पर मिठाई भी देते हैं। सफाई का ध्यान रखते हैं। खाना बनाने से लेकर टिफिन पैक करने वाले बोहरा समाज के लोग ही होते हैं, जो निशुल्क सेवा देते हैं। किसी के घर मेहमान आए तो पहले सूचना दी जाती है। पर्व, त्योहार, जन्मदिन, सालगिरह आदि मौकों पर समाजजन पूरी रसोई का खर्च भी उठाते रहते हैं।
समानता का भाव
बोहरा समाज में बड़े या छोटे का भाव नहीं आए, इसलिए धर्मगुरु के आह्वान पर ऐसा किया गया। धर्मगुरु की सीख थी कि समाज में सभी बराबर हैं। समाज का हर व्यक्ति एक दिन में एक समय एक जैसा भोजन ग्रहण करेगा तो ऊंच-नीच का भेद न रहेगा।
फैक्ट
- 12 साल से चल रही टिफिन व्यवस्था
- 150 घर हैं शहर में बोहरा समाज के
- 130 टिफिन भेजे जाते हैं प्रतिदिन
- 550 लोग रहते हैं यहां समाज के
भामाशाह करते रहते हैं मदद
नियमित टिफिन व्यवस्था में एक समय का भोजन कम से कम 150 रुपए प्रति परिवार पड़ता है। ऐसे में एक परिवार पर मासिक 4 हजार रुपए खर्च आता है। परिवारों के सदस्यों की संख्या के अनुपात में टिफिन में भोजन पहुंचाया जाता हैं। सभी टिफिन पर घर का नंबर दर्ज होता है। इसका खर्चा सक्षम परिवार व समाज के भामाशाह वहन करते हैं। किसी पर कोई दबाव नहीं होता, समाजजन स्वेच्छा से मदद करते हैं।