संस्कार पथ पर कदम बढ़ाते युवा

घरों पर जाकर करते हैं सुंदरकांड का नि:शुल्क पाठ

ब्लर्व……नई पीढ़ी को धर्म, संस्कार और आस्था से जोडऩे के लिए करीब 70 युवाओं की टोली घरों पर जाकर निशुल्क रामचरित मानस और सुंदरकांड का पाठ करती है। युवाओं की यह अनुकरणीय पहल करीब साल भर पहले शुरू हुई। उनकी मेहनत रंग लाने लगी तो हर आयु वर्ग के लोग जुडऩे लगे। फिलहाल उनकी शहर में तीन टोलियां हैं, जो करीब ढाई सौ धार्मिक आयोजन कर चुकी हैं।
-कामयाब स्टोरी-
भरतपुर। समय का बदलाव कहें या भागदौड़ भरी जिंदगी का प्रभाव। पहले घर-घर में बुजुर्ग धार्मिक ग्रंथों में रामायण को सर्वाधिक पढ़ा करते थे। ज्यादातर घरों में तो नियमित सुबह-शाम रामायण पढ़ी जाती थी, लेकिन अब ऐसा बहुत कम घरों में देखने को मिलता है। इससे युवा पीढ़ी में ना केवल धर्म के प्रति लगाव कम हुआ है, बल्कि संस्कारों में भी गिरावट आई है।
कुछ ऐसा ही कहना है कि भरतपुर की पुष्पवाटिका कॉलोनी निवासी 42 वर्षीय युवक पवन सोलंकी का। पवन बताता है कि आज व्यक्ति अपने ही पड़ौसी के घर पिछली बार कब गया, यह उस व्यक्ति को भी याद नहीं आता। करीब दो साल पहले एक बच्चे के जन्मदिन समारोह में गया तो वहां केक काटा गया और इसके बाद पाश्चात्य संगीत पर बच्चों को फूहड़ डांस करते देख मन खिन्न हो गया। वहां से चलने को हुआ तो आयोजनकर्ताओं ने रोक लिया। उन्हें दिल की बात बताई तो उन्होंने कहा कि हमें भी अच्छा नहीं लगा, लेकिन कर क्या सकते हैं। युवाओं को तो इसमें ही आनंद आता है। तभी विचार आया कि क्यों ना ऐसी टोली बनाएं, जो नि:शुल्क धार्मिक आयोजन कर सके।
टोली संस्थापक पवन सोलंकी बताते हैं कि इस अभियान में सबसे पहले गीता कॉलोनी निवासी नंदकिशोर (50) और पुष्पवाटिका कॉलोनी के ही पड़ौसी आशुतोष (35) जुड़े। फिर क्या काम शुरू किया तो युवा ही नहीं बुजुर्ग भी जुडऩे लगे और कारवां बनता चला गया।
पवन बताते हैं कि फिलहाल भरतपुर शहर में हमारी तीन टोलियां हैं और चौथी टोली जल्द एक्टिव हो जाएगी। फिलहाल टीम में करीब 70 लोग हैं। बुजुर्गों की संख्या 40 से अधिक है। इनमें सेवानिवृत प्रधानाचार्य हेतराम शर्मा और रिटायर्ड सूबेदार हुकुम सिंह भी शामिल हैं। उनकी टोलियां मंगलवार और शनिवार को मंदिरों और घरों में सुंदरकांड एवं हनुमान चालीसा का पाठ कर रहे हैं।
पवन सोलंकी बताते हैं कि आयोजन में किसी प्रकार का शुल्क नहीं लेते, लेकिन जो चढ़ावा आता है, उस पैसे से आयोजनकर्ता के घर पर भगवा ध्वज स्टील के 8 फुट के पोल में लगाकर देते हैं। इसके अलावा रामचरित मानस अथवा सुंदरकांड की पुस्तक भेंट की जाती है। पिछले दिनों एक दुर्घटना में टेंपो चालक के निधन पर आश्रितों को 51 हजार की मदद दी गई, जिसमें 13 हजार रुपए संस्था फंड से और बाकी सदस्यों ने दिए।

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